बैडमिंटन खेल :
बैडमिंटन एक बहुत ही उपयोगी खेल है | यह सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक खेल हैं | यह इंडोर गेम होता है , आमतौर पर इसको बाहर भी खेला जाता है , इसलिए यह इंडोर और आउटडोर दोनों ही गेम्स में आता है |
बैडमिंटन रैकेट :
बैडमिंटन गेम एक अच्छी गेम है , पर इसके लिए रैकेट का अच्छा होना भी बहुत मायने रखता है | रैकेट की क्वालिटी इस बात पर निर्भर करती है की रैकेट किस मटेरियल का बना है |
अच्छी गेम्स के लिए अच्छे रैकेट का होना बहुत ही जरुरी होता है | रैकेट जितना लाइट वेट होगा,गेम उतनी ही अच्छी होती है |
शटलकॉक :
बैडमिंटन गेम जितना ज्यादा रैकेट पर निर्भर करती है , उतना ही रोले-प्लेइंग शटलकॉक का होता है , शटल (चिड़ी ) का मुख्य भाग उसका कॉर्क (अगला हिस्सा ) होता है , तथा उसका पंख किस मटेरियल से बना है , इस बात पर भी ध्यान रखना होता है |
बैडमिंटन रैकेट के प्रकार :
बैडमिंटन रैकेट कई प्रकार के होते है , यह इस बात पर निर्भर करता है की प्लेयर की गेम कैसी है , जो शुरुआती रैकेट होते है वो फ्रेशर्स(जो खिलाडी नए होते है )के लिए होते है | ऐसे रैकेट लोहे से बने होते है और उनका वजन भारी होता है तथा उसमे वायर ( रैकेट की तार ) बिल्कुल ही हल्की (प्लास्टिक की ) लगी होती है | अच्छी गेम में वजन में हल्के रैकेट प्रयोग किये जाते है , ऐसे रैकेट एल्युमीनियम के बने होते है तथा उनकी वायर भी स्टेच्वल ( लचीलापन ) होती है और रैकेट लाइट वेट होने की वजह से घुमाने में भी आसानी होती है |
शटलकॉक के प्रकार :
शटल ( चिड़ि ) मुख्यतः दो प्रकार की होती है -
१. फीदर ( पंख वाली शटल ) |
२. नाइलोन शटल |
पंख वाली शटल तो शुरुआती गेम में लोग ज्यादा प्रयोग करते है , जैसे जब कोई बच्चा गेम सीख रहा होता है तो उसको इस बात की जानकारी नहीं होती है की शटल को खेलते वक्त कैसे उठानी होती है , जब गेम करते टाइम शटल नीचे गिर जाती है तो उसको रैकेट से नहीं बल्कि हाथ से उठाना होता है |, और जब खिलाडी शटल को रैकेट से उठा लेता है तो इस हालत में शटल के पंख टूटने लगते है और कहीं कहीं न कहीं रैकेट की वायर और उसका फ्रेम टूटना स्टार्ट हो जाता है |
नाइलोन शटल अच्छी गेम में प्रयोग की जाती है क्यूकि उसका कॉर्क वुडेन होता है और वेट ( वजन ) भी अच्छा होता है , खेलते टाइम जब उसको उठाना होता है तो ऐसे हालत में उसके पंख खराब नहीं होते है | और यह हवा लगने से भी फिलहाल अपने दिशा में बनी रहती है |




